तुम जो गए तो शहर कुछ थम सा गया है मेरा...

तुम जो गए तो शहर कुछ थम सा गया है मेरा, गली कूचों से जैसे गुज़रना ठहर सा गया है मेरा। वो खिड़की जहाँ कभी आया करते थे तुम, उसके सूनेपन से रिश्ता और गहरा गया है मेरा। इन हवाओं में बहती है, तुम्हारी यादों की खुशबू, हाय! ये साँसों का सिलसिला उसी पे चल रहा मेरा। न जाने कौन सी मंज़िल पे आबाद हो गये तुम, तुम्हारे नाम का इक शहर दिल में बसा है मेरा। कभी जो लौट आओ इन राहों पे तुम फिर से, देखो इंतज़ार पलकों पे थमा है मेरा। ये इश्क़ है या कोई और दीवानगी अनजानी, जो तुम्हारी जुदाई से जल रहा दीया है मेरा।